लड़ाई जारी रहेगी लद्दाख की मांगों को लेकर धरने पर बैठे सोनम वांगचुक ने खत्म की भूख हड़ताल ?
Sonam Wangchuk
लद्दाख को राज्य का दर्जा दिए जाने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर 21 दिनों से धरने पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है। हालांकि 21 दिनों तक नमक और पानी पर जीवित रहने के बाद, प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने कहा कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोगों से किए वादे पूरा करने की अपील भी की । सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किए एक वीडियो में कमजोर दिख रहे वांगचुक ने लद्दाख के लोगों से राष्ट्र हित में इस बार ‘सावधानीपूर्वक’ अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का आह्वान किया।
सोनम वांगचुक ने कहा, भारत लोकतंत्र की जननी है और हम नागरिकों के पास एक बहुत बड़ी शक्ति है। हम निर्णायक भूमिका में हैं, हम किसी भी सरकार को उसके तौर तरीके बदलने के लिए विवश कर सकते हैं या काम नहीं करने पर सरकार बदल सकते हैं।
लद्दाख में 16 दिनों से क्यों हैं अनशन पर सोनम वांगचुक?
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद्, इनोवेटर और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक पिछले 16 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। आखिर वांगचुक किन मांगों को लेकर अनशन पर हैं। वांगचुक अपने वीडियो में पूर्व में आंदोलनकारियों द्वारा की गई भूख हड़ताल को लेकर सरकार की संदेवनशीलता का जिक्र भी करते हैं। वो कहते हैं कि जब अन्ना हजारे ने 2011 में लोकपाल कानून की मांग को लेकर भूख हड़ताल की तो उस वक्त की मौजूदा सरकार ने उनके हड़ताल के 13वें दिन लोकपाल बिल संसद से पारित कर दिया था। वांगचुक कहते हैं कि यह सरकार की संवेदनशीलता दिखाता है। वांगचुक अपने वीडियो में कहते हैं, वास्तव में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन की वजह से ही 2014 में बीजेपी की मौजूदा सरकार सत्ता में आई। और बेशक हमें उनसे सत्य और न्याय के उच्चतम मानक की अपेक्षा करनी चाहिए।
इसी वीडिया में वह उस दौर को भी याद करते हैं जब उनके पिता ने आमरण अनशन किया था। वांगचुक बताते हैं कि 1986 में उनके पिता ने आमरण अनशन किया था।
सोनम वांगचुक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर 6 मार्च से लेह में भूख हड़ताल पर बैठे थें। हर दिन उनके साथ सैकड़ों लोग समर्थन जताने के लिए भूखे रहते हैं और कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सोते हैं।
Sonam Wangchuk का अनशन
वांगचुक की मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य देने की और संविधान की छठी अनुसूची लागू कराने की है। 6 मार्च को अनशन की शुरूआत करते हुए वांगचुक ने कहा था,
“मैं आज फिर आप लोगों से मुखातिब हूं। मगर इस बार एक अनशन शुरू करने के लिए…आमरण अनशन। चुनाव आने के संदर्भ में इसे हम चरणों में करेंगे। 21-21 दिन के चरणों में,
जब तक हमारे लद्दाख की आवाज सुनी नहीं जाती जब तक सरकार लद्दाख पर ध्यान न दें। अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद लद्दाख को एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। जबकि जम्मू-कश्मीर मे विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख में कोई परिषद नहीं होगी। छठी अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद लद्दाख के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषद बना सकेंगे। इसके अलावा उनकी मांगों में दो लोकसभा की सीटें और एक राज्यसभा की सीट भी शामिल है।
कौन हैं सोनम वांगचुक?
सोनम वांगचुक को ही असली फुंसुक वांगड़ू कहा जाता है। वही जो फिल्म थ्री इडियट्स का मुख्य किरदार था। लेकिन सोनम विनम्रता से इस बात से इंकार कर देते हैं। हालांकि सोनम वांगचुक का काम काफी हद तक फुंसुक वांगडू की तरह ही मिलता है।
क्या करते है सोनम वांगचुक
सोनम मूलत मैकेनिकल इंजीनियर हैं। अब वे शिक्षाविद की भूमिका में भी हैं। उन्होंने लद्दाखी समाज के लिए कई आविष्कार किए हैं और वे भी बगैर मशीनों के। सोनम ने सूखे की समस्या से जूझते लद्दाख में सिंचाई के लिए एक आर्टिफिशियल ग्लेशियर बनाया है। बौद्ध बहुल लद्दाख में स्तूप बनाए जाने की परंपरा है। सोनम ने इस कृत्रिम ग्लेशियर को बर्फ का स्तूप नाम दिया है। इसकी मदद से गर्मियाें में सिंचाई की जाती है।
बर्फ का स्तूप का निर्माण कैसे कर दिया बिना किसी तकनीकी मदद के?
साल 2014 की बात है जब सोनम वांगचुक ने इस बर्फ का स्तूप बिना किसी मशीनी मदद के ही बना दिया। कहा जाता है की Sonam Wangchuk सिर्फ झाड़-झंखाड़ और पाइपों का प्रयोग कर के बर्फ का स्तूप बनाया था। इस बर्फीले स्तूप के जरिए ड्रिप एरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए सिंचाई की जाती है। ऐसा स्तूप गर्मियों के मध्य तक कायम रहता है, जब आसपास की सारी बर्फ पिघल जाती है। ऐसा इसके कोन शेप के कारण होता है। कोन शेप के कारण इसका सरफेस एरिया कम हो जाता है। यानी इस पर पड़ने वाली धूप की मात्रा कम हो जाती है। इससे बर्फ पिघलती नहीं है।