भारतीय सेना की जांबाजी के किस्से तो सभी ने सुने होंगे। भारतीय सेना हमेशा से ही सीमा पर तैनात रहकर देश की रक्षा करती आई है। इस क्रम में कई जवान शहीद भी हो गए। भारत की माटी में एक से एक जांबाज सिपाही पैदा हुए है, जिनकी बहादुरी के किस्से युगों – युगों तक सुनाए जाएंगे,
Captain Anshuman Singh Kirti Chakra
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बांकी निशां होगा…
सम्मान लेते समय उनकी पत्नी ने क्या कहा
शहीद तो देश पर कुर्बान हो जाता है. मगर अपने पीछे अपने परिवार को कभी ना भूलने वाले गहरे दर्द दे जाता है. वह अपनी उस पत्नी को भी छोड़ जाता है, जो उसका हर पल बॉर्डर से घर आने का इंतजार करती थीं और जिसके साथ उसने जिंदगी भर के सपने संजोए थे.आज हम एक ऐसे ही जवान की बात कर रहे हैं, जिन्होंने अपनी जान को दाव पर लगाकर अपने साथियों की रक्षा की। उनके इस बलिदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरांत कीर्ति चक्र से नवाजा है।
Captain Anshuman Singh Kirti Chakra:
हम बात कर रहे हैं कैप्टन अंशुमन सिंह की। दरअसल, कैप्टन अंशुमान सिंह को हाल ही में मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान उनकी पत्नी और उनकी मां ने प्राप्त किया। सोशल मीडिया पर भी कीर्ति चक्र लेते शहीद अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति और उनकी मां के वीडियो शेयर हो रहे हैं और हर कोई स्मृति के चेहरे के भाव देखकर भावुक हो रहा है। कुछ प्रेम कहानियां ऐसे ही सदा के लिए अमर हो जाती हैं। शहीद की पत्नी स्मृति सिंह को देखकर लग रहा था कि मानो उनकी जुबां से शहीद कैप्टन बोल रहे हैं
https://twitter.com/PTI_News/status/1809641720797180066?s=19
स्मृति ने अंशुमन से पहली मुलाकात के बारें में क्या कहा
अपनी शहीद पति की शहादत को याद करते हुए कैप्टन अंशुमान की पत्नी स्मृति ने बताया, हम दोनों कॉलेज के पहले दिन ही एक-दूसरे से मिले थे. एक-दूसरे को देखते ही हम दोनों को आपस में प्यार हो गया था. इसके कुछ ही महीने बाद अंशुमान का सलेक्शन आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज में हो गया.अपने पति को याद करते हुए स्मृति बताती हैं, वह काफी तेज और होशियार थे. उनका सलेक्शन इंजीनियरिंग कॉलेज में भी हुआ था. हमारे बीच 1 महीने की ही मुलाकात थी. इसके बाद हम दोनों का 8 साल लंबा रिलेशनशिप चला. फिर हमने शादी कर ली. शादी के 2 महीने बाद ही अंशुमान को सियाचिन ग्लेशियर में तैनाती मिल गई। शहादत से 1 दिन पहले हम दोनों ने भविष्य के सपने संजोए थे।
शहीद कैप्टन अंशुमान की पत्नी को जब शहादत की जानकारी मिली
शहीद कैप्टन अंशुमान की पत्नी स्मृति भावुक होते हुए उस पल को भी याद करती हैं, जब उन्हें अपने पति की शहादत की जानकारी मिली थी. वह बताती हैं, 18 जुलाई के दिन हम दोनों ने काफी देर तक फोन पर बात की. इस दौरान हम दोनों ने आगे 50 सालों के भविष्य को लेकर बात की. अपना घर और बच्चों के बारे में भी प्लान बनाया. मगर जैसे ही वह 19 जुलाई की सुबह को उठीं, तभी उनके पास फोन आया और बताया गया कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहे.स्मृति उन पलों को याद करते हुए बतातीं हैं कि शुरू के 7 से 8 घंटे तक मुझे इस खबर पर यकीन ही नहीं कर पाई. मैं ये मानने के लिए तैयार ही नहीं थी कि ऐसा कुछ हो गया है. मगर आखिर में वह सब सच निकला. मैं अभी भी सोचती हूं कि क्या ये सब वाकई में हो गया है? मगर अब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है. ये सब सच है. वह वाकई हीरो थे. उन्होंने कई सैनिकों की जान बचाई और उनके साथ उनके परिवारों की जिंदगी भी बचाई।
कब और कहां हुई थी घटना
आईए अब आपको बताते हैं कैसे शहीद हुए अंशुमान सिंह 19 जुलाई 2023 के दिन पंजाब रेजिमेंट की 26वीं बटालियन के आर्मी मेडिकल कोर के कैप्टन अंशुमान सिंह 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर पर थे. तेज हवाएं चल रही थी. तभी सेना के बंकर में आग लग गई. इस आग में सेना के कई जवान बंकर के अंदर ही फंस गए. वहां मेडिकल सेंटर भी था, जिसमें जवानों के लिए कई जीवन रक्षक दवाएं और उपकरण रखे हुए थे. ये देख कैप्टन अंशुमान सिंह फौरन बंकर में घुस गए और वहां फंसे सैनिकों को बचाने की कोशिश करने लगे. इस दौरान कैप्टन ने बंकर में फंसे सभी सैनिकों को सुरक्षित निकाल लिया और वह जीवन रक्षक दवाइयां बचाने में भी कामयाब रहे. मगर वह खुद आग की चपेट में आ गए और शहीद हो गए।
Captain Anshuman Singh Kirti Chakra
19 जुलाई की सुबह उनकी शहादत का दुखद समाचार मिला. उन्होंने आगे कहा, “आज तक मैं इस दुख से उबरने की कोशिश कर रही हूं…यह सोचकर कि शायद यह सच नहीं है. अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है, तो मुझे एहसास हुआ कि यह सच है. लेकिन यह ठीक है, वह एक हीरो हैं. हम अपने जीवन को थोड़ा मैनेज कर सकते हैं क्योंकि उसने बहुत कुछ मैनेज किया था. उन्होंने अपना जीवन और परिवार त्याग दिया ताकि अन्य तीन परिवारों को बचाया जा सके.”जय हिन्द