बीजेपी के हमलावर को ही बीजेपी ने बनाया मंत्री?

योगी मोदी पर हमलावर रहने वाले को उत्तर प्रदेश में मंत्री क्यों बनाया भाजपा ने

1.मंत्रिमंडल मे किसे मिला जगह

योगी मोदी पर हमलावर रहने वाले को उत्तर प्रदेश में मंत्री बनाया गया तो वही राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के अनिल कुमार को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। घोसी से विधानसभा का उपचुनाव हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने दारा सिंह चौहान को दिया मंत्रालय तो वही अपने साहिबाबाद के विधायक सुनील शर्मा को राज्य मंत्री बनाया गया।

2.मंत्रीमंडल के नये मेहमान का ट्रैक रिकॉर्ड कौन कहा से पहुंच मंत्रीमंडल मे?

उत्तर प्रदेश में बीते दिनों योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। विस्तार के बाद मंत्रियों की संख्या बढ़ कर अब 56 हो गई है।योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़ समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गए और अब सपा का साथ छोड़ बीजेपी के साथ फिर से जुड़ने के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर को भाजपा ने कैबिनेट मंत्री बनाया। साथ ही 2022 चुनावों में भाजपा छोड़ सपा से विधायक बने और अब फिर भाजपा में लौट कर घोसी से विधानसभा का उपचुनाव हारने के बाद दारा सिंह चौहान को भी भाजपा ने कैबिनेट मंत्री बनाया। हाल ही में भाजपा के साथ गठबंधन के बाद राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के अनिल कुमार को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया और भाजपा के साहिबाबाद से विधायक सुनील शर्मा को राज्य मंत्री बनाया गया।

पिछले साल हुई थी घर वापसी ( Image Source : PTI )

3.मंत्रीमंडल विस्तार के पिछे भाजपा अपनी कमज़ोरी को ढंक लिया है

यह सब लोकसभा 2024 के चुनाव को मद्देनजर रखते हुए घोषणा की गई जिसका सीधा असर उत्तर प्रदेश की जनता पर हो रहा है, जहाँ पर भाजपा 80 लोकसभा सीटों में से ज़्यादा से ज़्यादा लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर चुकी है। ओम प्रकाश राजभर समाजवादी पार्टी के लिए 2022 में प्रचार करते थे तो उन्होंने एक बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में बहुत तीखी बातें कही थीं। दारा सिंह चौहान भी बीजेपी छोड़ने के बाद योगी आदित्यनाथ पर हमलावर रहते थे। ओम प्रकाश राजभर ने तो यहाँ तक कहा था कि वो योगी को वापस मठ में चले जाना चाहिए लेकिन मंगलवार (5 मार्च2024) को उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने खड़े होकर मंत्री पद की शपथ ली। उत्तर प्रदेश में भाजपा यह दिखाना चाहती है कि कोई उससे नाराज़ नहीं है। 2014 और 2017 में अमित शाह ख़ुद उत्तर प्रदेश की राजनीति में शामिल थे और उन्होंने जातियों के समीकरण को ख़ुद साधने की कोशिश की थी। अमित शाह की इजाज़त और उनके दखल के बगैर तो यह सब हो ही नहीं सकता है अमित शाह भाजपा में सभी जातियों को शामिल करके जनता को सामंजस्य दिखाना चाहते हैं। योगी आदित्यनाथ जो गोरखपुर से आते हैं। ख़ुद इस बात को अच्छे से समझते हैं कि निषाद जैसी पिछड़ी जातियों का काफ़ी महत्व है. तो इन नेताओं के पुराने हमलों और उनके बीजेपी सरकारों को छोड़ कर सपा के साथ जाने के फ़ैसलों को कोई व्यक्तिगत रूप से नहीं लेता है.

“ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान इन नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले मंत्रिमंडल को छोड़ विरोधी पक्ष के साथ मिल कर 2022 चुनाव में उन्हें हराने की कोशिश की थी भाजपा उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जातियों को जोड़ कर ‘हिन्दू एकीकरण’ से अपने राजनीतिक आधार को और मज़बूत बनाने के पुराने फार्मूले पर काम कर रही है। 90 के दशक की भाजपा की राजनीति के पार्टी के दो प्रमुख चेहरे पहले भाजपा कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे लोध समाज के कद्दावर नेताओं को बढ़ावा देकर अपने इस संकल्प को दर्शाने की कोशिश करती थी.”

अब भाजपा को इस बात का अहसास है कि अगर वो इन जातियों को उनकी शर्तों पर जगह नहीं देंगे और ओबीसी राजनीति में ग़ैर-यादव राजनीति करने वाले नेताओं को जगह नहीं देंगे तो वो अपने चुनावी लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएंगे।भाजपा ओबीसी वोटर्स को दिखाना चाहती हैं कि वो उनके भरोसे के लायक हैं तो भाजपा की राजनीतिक सफलता दोनों मंडल कमंडल साथ करने में है। यही कारण रहा की 1990 से लेकर अब तब अगर भाजपा यहाँ तक पहुँची है। तो उसमें बहुत बड़ा योगदान अयोध्या मुद्दे का है, वहीं एक दूसरा बड़ा योगदान पूर्ण बहुमत तक पहुंचाने में ओबीसी और दलितों का है।

2013 के मुज़फ्फरनगर दंगों के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हालत में बदलाव के बाद जैसे पश्चिम उत्तर प्रदेश के जो मायावती को समर्पित जाटव वोटर थे वो एक हद तक हिन्दू के रूप में परिवर्तित होने लगे और उसका लाभ भाजपा को मिला।आरएलडी का सपा का साथ छोड़ बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने के फ़ैसले के बाद मुज़फ्फरनगर के पुरकाज़ी से पार्टी का दलित चेहरा और विधायक अनिल कुमार को भी योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। भाजपा को भी ओम प्रकाश राजभर जैसे लोगों की ज़रूरत होती है यही ओम प्रकाश राजभर बीजेपी के साथ चुनाव लड़ते हैं और वही सपा के साथ भी चुनाव लड़ सकते हैं। राजभर बिरादरी उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की राजनीति का एक हिस्सा है लेकिन किसी चुनाव में यह छोटी-छोटी जातियां अगर किसी दूसरे के साथ नहीं जातीं हैं तो यह अपने आप कोई निर्णायक भूमिका नहीं निभा सकती हैं।

4.भाजपा को एक एक वोट को जोड़ना उनकी एक राजनीतिक मजबूरी है।

दारा सिंह चौहान जैसे नेताओं का अपनी जाति का नेता बने रहने में ही सब कुछ है। इसमें कोई सिद्धांत नहीं है योगी सरकार की कैबिनेट के 52 मंत्रियों में से 21 सवर्ण बिरादरी के और 21 ओबीसी वर्ग से हैं और 9 मंत्री दलित समाज से हैं।

2017 से 2022 के शासनकाल में योगी सरकार में 27 सवर्ण मंत्री थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल क्षेत्र में बीजेपी का मऊ, ग़ाज़ीपुर, बलिया, आंबेडकर नगर और आजमगढ़ में बेहतर प्रदर्शन नहीं रहा था जो भाजपा उत्तर प्रदेश के अधिकतर जगह क्लीन स्वीप कर रही थी वही भाजपा गाजीपुर ,आजमगढ़ और आंबेडकरनगर में सभी विधानसभा सीटें हार गई थी।

Leave a Comment