जमीन से लगभग 100 फ़ीट नीचे दौड़ेगी ट्रेन, ऊपर बहेगा पानी। जान कर हो जायेगे हैरान?

कोलकाता में हुगली नदी के पूर्वी तट पर एस्प्लेनेड और पश्चिमी तट पर हावड़ा मैदान को एक सुरंग जोड़ेगी

देश में पहली बार ऐसा होगा कि नदी के नीचे मेट्रो चलेगी और ऊपर से पानी बहेगा जानें इसकी खासयित। अभी तक आपने मेट्रो को अंडरग्राउंड देखा होगा और उसमें सफर भी किया होगा लेकिन कभी नदी के नीचे मेट्रो को चलते हुए नहीं देखा होगा वो भी छोटी-मोटी नदी नहीं है। बल्कि देश की सबसे बड़ी नदियों में से एक है कोलकाता में हुगली नदी के नीचे मेट्रो का संचालन शुरू हो रहा है प्रधानमंत्री मोदी इसका उद्घाटन करेंगे इसकी गहराई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जमीन से दस मंजिला इमारत जितनी इसकी ऊंचाई के बराबर नीचे मेट्रो दौड़ेगी।

यह सुरंग हुगली नदी के पूर्वी तट पर एस्प्लेनेड और पश्चिमी तट पर हावड़ा मैदान को जोड़ेगी देश में पहली बार नदी के नीचे मेट्रो चलेगी सुरंग सतह से लगभग 33 मीटर यानी करीब दस मंजिली इमारत के बराबर नीचे है। हावड़ा से एस्प्लेनेड तक का कुल मार्ग 4.8 किलोमीटर लंबा है आधा किलोमीटर लंबी इस पानी के अंदर की सुरंग से यात्री 1 मिनट से भी कम समय में गुजरेंगे इस सुरंग को 120 साल का आंकलन करके बनाया गया है।

अंडरवाटर टनल में था चैलेंज

देश में पहली बार पानी के अंदर टनल बन रही थी। इसलिए ऐसी मशीन की जरूरत थी जो ऊपर से पड़ने वाले पानी के प्रेशर सहन कर ले और निर्माण के दौरान पानी आने से भी रोके पहले देश के कई शहरों में बनी सुंरग में पानी आने का खतरा नहीं था इसलिए सामान्य मशीन से सुरंग बन जाती थी। जर्मनी में तैयार हुई टीबीएम, टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन में जर्मनी को महारथ हासिल है। इसे जर्मनी में अपनी जरूरत के अनुसार मशीन डिजाइन करवाई गई थी।

इसकी खासियत यह है कि मिट्टी काटने के साथ-साथ निर्मित हिस्से को सील करती जाती है जिससे अगर कटिंग के दौरान पानी आता तब भी तैयार हो चुके टनल के हिस्से में नहीं जाता। उन्होंने बताया कि टनल में बाद में भी कभी पानी न आए इसके लिए पहली बार ज्वाइंट में हाइड्रोफिलिक गास्केट का इस्तेमाल किया गया जो पानी के संपर्क में आते ही 10 गुना अधिक फैल जाएगा यानी पानी के संपर्क में आते ही पहले से ज्यादा वाटर प्रूफ हो जाएगा। हुगली नदी के नीचे बनी सुरंग की लंबाई 520 मीटर और ऊंचाई 6 मीटर है।

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